उत्तरांखंड के बारें मैं
जैसा की हम लोग जानते ही है की उत्तरांखंड भारत का एक समृद्ध राज्य है जो की देवभूमि के नाम के से भी से भी जानी जाती है 54.483 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला उत्तराखंड पहाड़ो की सुन्दर वादियों और हरे भरे मैदानों से घिरा हुवा है. उत्तराखंड एक जाना माना प्रशिद्ध पर्यटक स्थल भी है| 9 नवम्बर 2000 को 27 वें राज्य के रूप मैं अस्तित्व मैं आने वाले राज्य मैं 13 जिले मौजूद है जिसमें दो मंडल है जो की गढ़वाल और कुमॉऊ के नाम से बिख्यात है. उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून होने के साथ साथ राज्य मैं कुल 95 ब्लॉक और 113 तहसीले है राज्य के लोगों का मुख्या ब्यवसाय कृषि है कृषि के माध्यम से ही अधिकांश जनसख्या अपना पालन पोषण किया करती है| हालाँकि पर्यटन रोजगार का मुख्या साधन के रूप मैं उभर कर सामने आया है|
उत्तरांखंड शब्द का अर्थ
उत्तरांखड के बारें मैं और अधिक जानने से पहले हमें उत्तराखंड शब्द के बारें मैं भी जान लेना जरुरी है. दरअसल उत्तराखंड शब्द. दो शब्दो और दो भाषाओ के मेल से बना है. हिन्दी और संस्कृत भाषा के मिश्रण से बने उत्तराखंड का शाब्दिक अर्थ उत्तर की भूमि होता है जो की सामान्यतः उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है, राज्य में धर्म की पवित्र नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं, जिसके कारण इसे देवो की भूमि देवभूमि के नाम की संज्ञा दी गई है बताना चाहिँगे की उत्तराखंड को गठन से पहले यानि की जनवरी 2007 से पहले से उत्तरांचल नाम से जाना जाता था जो बाद मैं उत्तराखंड के नाम से बिख्यातः हुआ|
उत्तराखंड राज्य की मांग और गठन
जैसा की हम सभी लोग जानते ही है की उत्तराखंड राज्य के गठन से पहले देश के उत्तरप्रदेश राज्य के साथ सम्मलित था. भारत मैं अंग्रेजो के आगमन के बढ़ जाने और उनके कुरु अत्याचार और शोषण के कारण गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल की जनता ने आपने लिए अलग राज्य की मांग की जिसकी शुरवात देश के आजाद होने से पहले ही शुरू हो गई थी|
सर्वप्रथम अलग राज्य की मांग 1897 में इंग्लेंड की महारानी विक्टोरिया के समक्ष रखी गई थी. कुमाऊं को प्रांत का दर्जा देने की मांग भी शामिल थी. यानि की की एक पृथक अलग राज्य मांग एक सदी पुरानी है इस मांग मैं राज्य के कई बड़े लोगों ने हिस्सा लिया और कई प्रयासो और आंदोलनों के बावजूद सन 9 नवम्बर 2000 की एक अलग राज्य उत्तराखंड के रूप मैं उभरकर सामने आया. एक तरफ अलग राज्य मिलने की ख़ुशी थी तो दूसरी तरफ न जाने राज्य के कितने महान लोगो के शहीद होने का दुःख था इस आंदोलन मैं न केवल पुरुषो ने भाग लिया बल्कि माताओ और बहनो ने भी जम कर हिस्सा लिया|
उत्तराखंड के बारे में महत्पूर्ण जानकारी
राज्य का नाम | उत्तराखंड |
स्थापना दिवस | 9 नवंबर 2000 |
उत्तराखंड की राजधानी | देहरादून |
उत्तराखंड का क्षेत्रफल | 54,483 वर्ग किमी. |
उत्तराखंड में कुल जिले की संख्या | 13 |
उत्तराखंड का राजकीय पशु | कस्तूरी मृग |
उत्तराखंड का राजकीय पक्षी | मोनाल |
उत्तराखंड का राजकीय फूल | ब्रह्म कमल |
उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष | बुरांस |
उत्तराखंड की मुख्य भाषा | हिंदी, गढ़वाली, कुमाऊनी |
क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तराखण्ड का भारत में स्थान है – | 19 वां |
उत्तराखंड की कला और संस्कृति
वैसे तो उत्तराखंड अपनी हर एक चीच के लिए देश-विदेश मैं काफी मशहूर है| लेकिन खास तौर पर यहाँ की कला और संस्कृति इसे और खास बनाती है. यहां के संस्कृति, लोक गीत और नृत्य सभी को अपनी तरफ खिंच लेती है. साल के 12 महीनों मैं हर मौसम में हर त्यौहार मैं अलग-अलग गीतों और नृत्यों को किया जाता है| यहाँ तक की खेत खलिहान से लेकर विरह और त्योहारों के अपने अलग नृत्य हैं. वही एक नजर प्रदेश के साहित्य की ओर डाले तो यहाँ के बिधाओ मैं वर्णित है की जब कभी भी महिलाये अपने पशुओ और खेत मैं घास लेन जाते है तो वे सभी साथ मैं जाकर चाचरी, धपेली, छोलिया, गीतों का गायन किया करते है जो की नृत्य के साथ और खूबसूरत लगते है , बताना चाहेंगे की हर शुभ दिन को राज्य के लोगो द्वारा गीतों को गया जाता है. जैसे की बिवाहों और घर के हर महोत्सब मैं पारम्पारिक गीतों का प्रयोग किया जाता है जिसमे गांव की बुजुर्ग महिलाएं देवी देवताओं का आह्वान करती है. और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए इन गीतों को गाया जाता है|
उत्तराखंड का पहनाव ,वेशभूषा और आभूषण
राज्य के निवासियों की वेशभूषा और आभूषण उनके पहनावे के भाग से मैं से एक है. जो की उत्तराखंड राज्य विरासती पहचान है यहाँ पर महिलाओं और पुरुषो द्वारा पारम्परिक ड्रेस पहनी जाती है साथ ही बड़े, छोटे, और बुजुर्गो का एक अलग पहनाव सामने आता है उत्तराखंड ट्रेडिशनल ड्रेस की बात की जाएँ तो यहॉँ की महिलायें घाघरा और चोली पहनती हैं। इसके अलावा यहां की महिलायेँ साड़ी, पेटीकोट ब्लाउज भी धारण करती हैं। उतराखंड का पहनावा में यदि बात की जाये यहाँ के पुरुष द्वारा पहने जाने वाले कपड़ो की तो यहाँ के पुरुष कुर्ता और चूड़ीदार पजामा पहनते हैं| उत्तराखंड में पुरे वर्ष भर ठंड का मौसम होने के कारण जाड़े के दिनों में यहां के लोग ऊनी वस्त्र का भी प्रयोग करते हैं। जो की उनकी परम्परा की शोभा बढ़ाते है वही दूसरी तरफ उत्तराखंड राज्य के आभूषणो की बात की जाये तो महिलाओं के द्वारा गले, नाक और कानो में पहने जाने वाले आभूषण उत्तराखंड की परंपरा की हिस्सा है। महिलाओं के गले में चरेऊ पहनने जो की बिवाहित महिलये धारण करती है. कई खास अवसर पर पिछौड़ा का धारण करना उत्तराखंड की लोक संस्कृति को दर्शाता है|
उत्तराखंड के प्रशिद्ध भोजन के ब्यंजन
जैसा की हम आपको पहले ही बता चुके है की उत्तराखंड की हर एक चीज प्रसिद्ध है उन्ही की श्रेणी मैं आते है यहाँ के भोजन के ब्यंजन जो की उत्तरांखंड को एक अलग पहचान दिलाती है यहाँ के स्वादिस्ट भोजन के ब्यंजन, यहाँ का अनाज और स्थानिया मसाले भोजन को और अधिक स्वादिस्ट बनाते है| क्युकी यहाँ के मसालों का एक अलग ही स्वाद होता है साथ ही यहाँ के भोजन स्वास्थ्य के लिए भी लाभ दायक होते है. उत्तराखंड के ब्यंजनो के सेवन से अनेक प्रकार की बीमारिया ठीक होती है. क्यों की ये सब प्राकृतिक और ऑर्गनिक तरीके से उगाये जाते है|
- मंडवे की रोटी
- अरसा
- चैसोणी
- बाड़ी
- कंडाली का साग
- फाणु का साग
- झंगुरे की खीर
- भांग की चटनी