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जिला अल्मोड़ा परिचय एवं महत्वपूर्ण जानकारी

by Surjeet Singh
जिला अल्मोड़ा परिचय

पहाड़ों की खूबसूरत वादियों के बीच में बसा अल्मोड़ा उत्तराखंड राज्य का एक खूबसूरत सा जिला है जी की अपनी संस्कृति एवं रीती रिवाजों के साथ पवित्र स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।  इतिहास की अनोखी कहानियों के साथ यह जिला पौराणिक काल से दिव्या आत्मओं का निवास स्थान माना जाता है।  आज के इस लेख में हम उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला के बारें में जानने वाले है।  जिल्ले की भौगोलिक स्थित के साथ रहन सहन और संस्कृति इस जगह की खास बनती है।

जिला अल्मोड़ा परिचय

हिमालय की तलहटी एवं प्रकृति की गोद में बसा अल्मोड़ा एक खूबसूरत जिला होने के साथ साथ जिले का मुख्यालय के लिए भी जाना जाता है।    घोड़े की नाल के आकर में स्थित अल्मोड़ा उत्तराखंड के प्राचीन नगरों में से एक है।  उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल क्षेत्र में शामिल यह जिला सांस्कृतिक विरासत और हस्त  शिल्पकला का केंद्र बिंदु है। भौगोलिक तौर पर  समुद्रतल से 1638 मीटर की उचाई में स्थित यह जिला 3,139 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुवा है।  अल्मोड़ा जिला के पूर्व में पिथौरागढ़ एवं पश्चिम में गढ़वाल क्षेत्र शामिल है।  जिला अपने भव्य मंदिरों एवं इतिहासिक स्थलों के साथ दार्शनिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है।

 

जिला अल्मोड़ा परिचय

जिले का नाम अल्मोड़ा
राज्य उत्तराखंड
क्षेत्रफल 3,139 वर्ग किलोमीटर
समुद्रतल से उचाई 1638 मीटर
जनसँख्या 622506
मुख्यालय अल्मोड़ा
भाषा हिन्दी, कुमाऊँनी
तहसील सोमेश्वर, द्वारहाट, भनौली, जैंती, स्याल्दे, धौलछीना अल्मोड़ा, रानीखेत, भिकियासैंण, सल्ट, चौखुटिया, व लमगड़ा
विधानसभा क्षेत्र द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, अल्मोड़ा, जोगेश्वर एंव सोमेश्वर
अल्मोड़ा जिला सांस्कृतिक परिचय

जिला मुख्या रूप से अपनी सांस्कृतिक छवि के लिए पूरे देश विदेश में महशूर है।  उत्तराखंड प्रकृति के साथ सीधा सम्बन्ध को दर्शाता है इसलिए यहाँ की लोकसंस्कृति प्रकृति की तरह खूबसूरत एवं सदाबहार है।  नव वर्ष की शुरुवात से ही जिले के धार्मिक स्थलों में जनता की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाती है।  किसी भी लोकपर्व को खास तरह से मनाये जाने का प्रावधान देखने को मिल जाता है।  जिसमें  जिलावासियों  द्वारा पर्वों को अलग अंदाज में मनाया जाता है।  जहाँ होली रंगों का त्यौहार है वही यह पर्व लोगों के आपसी संबंधों को रंगीन बना देता है।  आपसी प्रेम एवं मेल मिलाप का पर्व खतड़ुवा  एवं बिखोती, फूलदेई के साथ दिवाली रिश्तों को नए रूप प्रदान करते है।  यही कारण है की उत्तराखंड की संस्कृति आज के समय में देश विदेश तक फैली हुई है।

प्रकृति के स्वागत के लिए जिलें के लोग विभिन्न प्रकार के लोकपर्व मनाया करते है।  जो की जिल्ला अल्मोड़ा को खास बनाती है।  अपनी संस्कृति एवं परम्पराओं को जीवंत रखते यहाँ के लोग पवित्र रस्मों एवं नियमों से जुड़े हुए होते है।  जो की उत्तराखंड राज्य को एक अलग छवि प्रदान करती है।

अल्मोड़ा जिले का इतिहास

जैसा की हम आपको पहले ही बता चुके है की जिला अल्मोड़ा उत्तराखंड राज्य का एक ऐतिहासिक जिला है।  कुमाऊँ के इस प्राचीन नगर  के बारें में बताया जाता है की लगभग 16 वीं शताब्दी में  जिलें के अंदर चंद राजाओं राजाओं का शासन हुवा करता था।  इतिहास के पन्नों से जानकारी प्राप्त होती है की जिला अल्मोड़ा के बारें में इतिहासकार ई.टी. एटकिन्सन  लिखते है की चन्द्र वंश के 43 वें राजा श्री  भीष्मचन्द्र जी  ने अल्मोड़ा जिलें को 1530 में बसाया था।  स्वतंत्रता आंदोलन के समय जिलें ने देश को बहुत से स्वतंत्रता  सैनानी दिए।  1563  में मुग़ल प्रभाव के कारण राजा बालों चंद्र ने चम्पावत से राजधानी परिवर्तन करके  यहाँ स्थानांतरित की जिसे आलम नगर नाम से जाना गया।  चंद वंश के शासन के बाद लगभग 1790 से 1815 तक गोरखा राजाओं के शासन रहा।

अल्मोड़ा को खास बनाती है बाल मिठाई एवं ऐपण कला

अल्मोड़ा हस्त शिल्प एवं ऐपण कला का केंद्र माना जाता है।  उत्तराखंड की प्रमुख हस्त शिल्पकलाओं में ऐपण कला सबसे अनोखी एवं आकर्षक मानी जाती है।  और वही ऐपण कला का जन्मस्थान अल्मोड़ा जिला माना जाता है।  जैसा की हमने आपको पहले भी बताया की राज्य की संस्कृति में अल्मोड़ा जिला का योगदान विशेष स्थान रखता है।  ऐपण किसी खास अवसर पर घर की देहलियों में बनाई गई खूबसूरत डिज़ाइन होती है।  ऐपण महिलाओं की कलात्मक अभियक्ति का मुख्या अंग है।  ऐपण रंगने की रश्म मुख्या रूप से महिलाओं के द्वारा ही अदा की जाती है।

बाल मिठाई अल्मोड़ा जिले के साथ उत्तराखंड में प्रसिद्ध मिठाई के तौर पर जानी जाती है।  स्वाद के शौकीन लोगो के लिए अल्मोड़ा में बहुत कुछ है।  जहां बाल मिठाई रिश्तों में मिठास लती है वही जिले के पारम्परिक भोजन के व्यंजन राज्य की संस्कृति को खास बनाते है।  बाल मिठाई के बारें में कहा जाता है की यदि आप अल्मोड़ा जाओं और बाल मिठाई न खाओ, तो कही न कही आप उत्तराखंड की सबसे प्रसिद्ध एवं स्वादिष्ट  मिठाई के स्वाद से वंचित रहने वाले है।

जिला अल्मोड़ा से जुड़ें महत्वपूर्ण जानकारियां

अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मंदिर नन्दा देवी मंदिर, कटारमल सूर्य मंदिर, चितई गोलू देवता मंदिर, कसार देवी मंदिर, द्वाराहाट मन्दिर

अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मेले   नंदादेवी मेला, अल्मोड़ा दशहरा मेला , सावन मेला – जागेश्वर

अल्मोड़ा के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रानीखेत, तड़ागताल, चौखुटिया

अल्मोड़ा के प्रमुख नदियाँ कोसी नदी, गोरी नदी,

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