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बद्रीनाथ धाम इतिहास और पौराणिक महत्व

by Surjeet Singh
badrinath dham

बद्रीनाथ धाम चार छोटे धामों से एक है।  आस्था और भक्ति से ओत प्रोत यह धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।  भगवान विष्णु के बद्री रूप को समर्पित यह मंदिर अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण  पर्वत शृंखला के बीच स्थित है । मंदिर में भगवान बद्रीनाथ की लगभग 3 फिट ऊंची शिला प्रतिमा है।  उत्तराखंड क्लब के आज के इस लेख के माध्यम से हम बद्रीनाथ धाम के बारें में सम्पूर्ण जानकारी साझा करने वाले है।   

बद्रीनाथ धाम के बारें में

बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। लाखों भक्तो को आकर्षित करती यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। हिमालय के सबसे  पुराने तीर्थों में से एक बद्रीनाथ धाम समुद्र तल से लगभग 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्यता और आस्था से ओत प्रोत यह भव्य मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है | बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के प्रमुख पवित्र स्थानों के साथ साथ चार छोटे धाम में एक है।  राज्य की राजधानी देहरादून से या पवित्र धाम लगभग 330 किलोमीटर की दुरी स्थित है बताना चाहिँगे की पंच बद्री में से एक बदरीनाथ में बद्री महाराज की पूजा गर्मियों में की जाती है। सर्दियों में महाराज की डोली को जोशीमठ के नरसिंघ मंदिर में राखी जाती है|

मंदिर बद्रीनाथ धाम
समर्पित भगवान विष्णु के बद्री रूप को
स्थित चमोली जिले में
स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य जी
स्थापना  वर्ष 9 वीं शताब्दी
समुद्र तल ऊंचाई 3133 मीटर
खुलने का समय बसंत पंचमी पर तारीख तय की जाती है.  निश्चित समय के बारें बताया जाता है
बंद होने के समय विजयदश्मी पर तारीखें तय की जाती हैं

बद्रीनाथ धाम का इतिहास

बद्रीनाथ धाम का इतिहास और निर्माण विषय के बारें अनेक मत निकल कर सामने आते है।  ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर पता है चलता है की बद्रीनाथ मंदिर हजारों वर्ष  पुराना है बद्रीनाथ धाम मंदिर 8 वी० शताब्दी तक एक बौद्ध मठ हुवा करता था।  जिसे बाद में आदि शंकराचार्य ने  पुनरूद्धार करके एक हिन्द  मन्दिर में परिवर्तित कर दिया।  मंदिर की वास्तुकला और उज्ज्वल रंग सामने से देखने पर एक बौद्ध मठ के समान है प्रतीत होता है इसलिए इस बात को भी नाकारा नहीं जा सकता।

स्कंद पुराण के कई अन्य मतों के आधार पर ऐसा भी कहा जाता है गुरु शंकराचार्य को नारद कुंड से भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी।  फिर  9वीं शताब्दी उस मूर्ति को उन्होंने मंदिर में स्थापित किया।

वामन पुराण के अनुसार यह पता चलता है की ऋषि नर और नारायण बद्रीनाथ धाम में आकर तपस्या करते थे। नर और नारायण भगवान विष्णु का पांचवां अवतार था।

बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण

ऐतिहासिक घटनाओं और मानयताओं के आधार पर पता चलता है की बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण 9 वी० शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी मंदिर का निर्माण अलकनंदा नदी से 50 मीटर  ऊपर धरातल पर की गई है।  मंदिर के निर्माण में मिश्रित शैली देखने को मिलती है।  मंदिर का प्रवेश द्वारा यानि की आगे का हिस्सा नदी  की ओर बना हुआ है.  मंदिर को मुख्या रूप से तीन भागो में बाटा गया है जिनके नाम  गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप  है।  रास्ता चौड़ी सीढ़ियों से होते हुए मंदिर में प्रवेश करता है।  इसके आगे का भाग का निर्माण पत्थरों से किया गया है।  जिसे लोगों द्वारा सिंह द्वार कहा जाता है। इस धनुषाकार द्वार के ऊपर तीन स्वर्ण कलश लगे हुए है।  वही मंदिर के छत के मध्य एक विशाल घंटी लटकी हुई है |

गर्भगृह में भगवान बद्रीनारायण की 1 मीटर लम्बी शालीग्राम से निर्मित मूर्ति देखने को मिल जाती है जिसे बद्री वृक्ष के नीचे रखा गया है। गर्भगृह में उद्धव, नर और नारायण के अलावा धन के देवता कुबेर, देवर्षि नारद की मूर्तियां भी हैं।

बद्रीनाथ धाम का पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब पीड़ित मानवता की रक्षा के लिए माँ गंगा जी ने धरती पर कदम रखना तय किया तो एक तरफ संकट का विषय था की पृथ्वी  माँ गंगा के प्रवाह को सहन नहीं कर पायेगी।  जिसके बाद माँ गंगा ने आपने आप को 12 भागों में विभाजित किया और इन्ही 12 भागों में से एक भाग को माँ गंगा का स्थान माना जाता है जिसे अलकनंदा नदी कहा जाता है।  यह भगवान विष्णु के निवास स्थान के लिए जानी जाती है।

बद्रीनाथ मंदिर कैसे पहुंचे

बद्रीनाथ मंदिर जाने के लिए साधनों की बात की जाये तो बता दे की बद्रीनाथ मंदिर सड़क मार्ग के साथ साथ रेल मार्ग और वायु मार्ग से भी जुड़ा हुआ है  यहाँ तीनो  माध्यमों के द्वारा आसानी से पंहुचा जा सकता है।

सड़क मार्ग – सड़क मार्ग की बात की जाये तो बद्रीनाथ मंदिर राज्य की राजधानी से 230 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।  साथ ही यह जगह देश की राजधानी दिल्ली से यह लगभग यह 560 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।

रेलमार्ग से बद्रीनाथ मंदिर कैसे पहुंचे –  रेलमार्ग के माध्यम से भी बद्रीनाथ धाम पंहुचा जा सकता है।  यहाँ का निकटतम  रेलवे  स्टेशन ऋषिकेश है जहाँ से बद्रीनाथ की दुरी लगभग 290 किलोमीटर है। ऋषिकेश से बद्रीनाथ जाने के लिए यातायात की बहुत सी सुविधा मिल जाती है।  बसों के अलावा निजी टेक्सी के माध्यम से भी बद्रीनाथ पहुंच सकते है।

 फ्लाइट से बद्रीनाथ मंदिर कैसे पहुंचे – वायुमार्ग के माध्यम से भी बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन किये जा सकते है।  बद्रीनाथ धाम का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में स्थित जॉली ग्रांट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा  है। यह बद्रीनाथ से लगभग 314 किमी०  की दूरी पर स्थित है।

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