भारत जैसे महान देश में आस्था और भक्ति से जुड़े बिभिन्न प्रकार के पर्व और त्यौहार मनाये जाते है। भगवान का शुक्रगुजार एवं परिवार के कल्याण की कामना करते हुए कई पर्व एवं त्यौहारों को मनाये जाने का प्रावधान रहा है। जिनमें से एक है गणेश चतुर्थी। जो की भगवान गणेश जी को समर्पित है। उत्तराखंड क्लब के आज के इस लेख के माध्यम से हम आप सभी लोगों के साथ गणेश चतुर्थी पर्व के बारें में जानकारी साझा करने वाले है। इस लेख के साथ अंत तक बने रहना क्यों की इसी लेख के माध्यम से हम आपको गणेश चतुर्थी का महत्व एवं इतिहास के बारें में भी बताने वाले है।
गणेश चतुर्थी क्या होती है
गणेश चतुर्थी मुख्या रूप से भगवान गणेश जी के जन्म दिवस को ही कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में हर पर्व की तरह गणेश चतुर्थी को भी बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल भी सभी लोग बेसब्री से भगवान गणेश जी के जन्म दिवस गणेश चतुर्थी का इंतजार कर रहे है। जैसा की हम सभी लोग जानते ही है की भगवान शंकर के पुत्र गणेश थे। जो की गणपति एवं विनायक और विघ्नहर्ता के नाम से भी जाने जाते है। उनके जन्म दिवस के अवसर पर गणेश चतुर्थी मनाये जाने का प्रावधान रहा है।
गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है
हम सभी लोगो के पास आमतौर पर यह प्रश्न भी होता है की आखिर ये गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है। बताना चाहिँगे की जिस त्यौहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाये जाने का रिवाज रहा है वह हर वर्ष भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष को चतुर्थी में मनाई जाती है। आज के दिन सभी लोग भगवान गणेश जी की प्रतिमा को घर में ला कर पूजा अर्चना करते है तथा 11 वे दिन गणेश विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी 2022 में कब है
हिंदू पंचाग में हर त्यौहार को किसी निश्चित समय में मनाया जाता है लेकिन जब बात ग्रेगोरियन कैलेंडर की आती है तो किसी भी त्यौहार को मनाये जाने के सम्बन्ध में उलझन बनी रहती है। इस लिए हम आपको गणेश चतुर्थी 2022 में कब है के विषय में भी जानकारी देने वाले है। जैसा की हम आपको पहले ही बता चुके है की गणेश चतुर्थी हर वर्ष भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष को चतुर्थी में मनाई जाती है। जो को इस साल 31 अगस्त 2022 को आ रही है।
गणेश चतुर्थी में क्या किया जाता है
गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। बताना चाहिँगे की भारत के हर राज्य में गणेश चतुर्थी को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाएं जाने का प्रावधान रहा है। लोग बेसब्री से इस त्यौहार का इन्तजार किया करते है। खास तौर महाराष्ट में गणेश चतुर्थी बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी के नौ दिन पहले ही भक्तों द्वारा गणेश जी की आदर्श प्रतिमा अपने घर में बिराजमान की जाती है। तथा आने वाले दस दिन तक रोज गणपति जी को भोग लगा कर पूजा अर्चना की जाती है। अगले दिन यानि की विसर्जन के दिन आदर्श मूर्ति को गानों और बाजों के साथ किसी तालाब या नदी के जल में विसर्जित किया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
भारतीय संस्कृति में गणेश चतुर्थी पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इसका उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी देखने को मिलता है। मान्यता के अनुसार भगवान गणेश जी को विनायक और विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। गणेश जी को दुःख हारता के लिए भी जाना जाता है। माना जाता है की जो भी भक्त गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करके पूजा करते है भगवान उनके सारें दुःख हर लेते है। इसका उल्लेख कई जगह देखने को मिलता है। एक बार ब्रहमाण में संकट छा गया। सभी भगवान चिंतिंत होकर विषय का निवारण के लिए शिव जी के पास पहुंचे और उन्हें ब्रहमाण के संकट के बारें में बताया। भगवान शिव जी ने संकट को हरने का कार्य गणेश जी को सौंपा। तब से उन्हें दुःख हारता के नाम से भी जाना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।