चार छोटे धामों से से एक गंगोत्री धाम उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक पवित्र स्थल माना जाता है। आस्था और भक्ति का प्रतिक यह धाम वर्ष भर में लाखो पर्यटकों को आकर्षित करता है। उत्तराखंड क्लब के आज के इस लेख में हम चार छोटे धामों से एक गंगोत्री धाम के बारें में जानकारी साझा करने वाले है। आशा करते है की आपको आज का लेख पसंद आएगा।
गंगोत्री धाम के बारें में
गंगोत्री धाम भारत के प्रसिद्ध राज्य उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित एक पवित स्थल है । जो की चार प्रमुख छोटे धामों में एक है। जिसका पड़ाव दूसरे स्थान पर यानि की यमनोत्री के बाद आता है समुद्रतल से 980 फीट की उचाई पर स्थित यह स्थल माँ गंगा का उद्गम स्थल माना जाता है। धार्मिक ग्रंथो और पुराणों में गंगोत्री धाम का विशेष स्थान मन जाता है। गंगोत्री धाम मंदिर भागरथी नदी के तट पर स्थित है। मंदिर का निर्माण विषय के बारें बताया जाता है की गंगोत्री मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी की शुरुआत में नेपाल के प्रसिद्ध राजा जनरल अमर सिंह थापा द्वारा किया गया था। लेकिन वर्तमान गंगोत्री मंदिर का निर्माण जयपुर के राजपूत राजाओं द्वारा किया गया था। इस मंदिर में माँ गंगा की एक भव्य प्रतिमा के साथ माता लक्ष्मी और भागीरथी , सरस्वती आदि की मूर्तियाँ भी बिद्यमान है।
मंदिर | गंगोत्री धाम |
समर्पित | माँ गंगा |
स्थित | उत्तरकाशी जिले में |
स्थापना | राजा जनरल अमर सिंह थापा |
स्थापना वर्ष | 18 वीं शताब्दी |
समुद्र तल ऊंचाई | 980 फीट |
खुलने का समय | अक्षय तृतीया के दिन |
बंद होने के समय | दीपावली के दिन |
गगोत्री धाम का इतिहास
गंगोत्री धाम का इतिहास हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। धार्मिक ग्रंथों के साथ साथ पौराणिक गाथाओं में भी गंगोत्री धाम का महत्व देखने को मिलता है। गगोत्री धाम के इतिहास के बारें में अनेक मत निकल कर सामने आते है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर पता चलता है की गंगोत्री वह स्थान है जहाँ पर गंगा नदी स्वर्ग से उतरी थी और उन्होंने पहली बार धरती को स्पर्श किया था। जब भगवान शिव जी ने देवी गंगा को अपने ताले से मुक्त किया। मंदिर का सबसे पहले निर्माण 18 वीं शताब्दी में नेपाल के राजा अमर सिंह थापा ने किया था। किदवंतियों के अनुसार यह भी पता चलता है की राजा सागर के अश्व यज्ञ के दौरान जब उनके साठ हजार पुत्रों की ऋषि के श्राप के द्वारा मृत्यु हुई तो उनकी राख को साफ़ करने के लिए माँ गंगा ने धरती को स्पर्श किया। यह वही जगह थी जहाँ पर राजा भगीरथ ने कड़ी तपस्या की थी। जिसके बाद यहाँ पर मंदिर का निर्माण किया गया जिसे गंगोत्री के काम के नाम से जाना है।
गंगोत्री मंदिर का निर्माण
हिमालय पर्वत की गोद में बसे पवित्र गंगोत्री मंदिर का निर्माण सर्वप्रथम नेपाल के राजा अमर सिंह थापा ने 18 वीं शताब्दी में की थी। लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के चलते यह मंदिर छतिग्रस्त हो गई। वर्तमान मंदिर के निर्माण के श्रेया जयपुर के राजपूत राजाओं को जाता है। गंगोत्री मंदिर का निर्माण वास्तुकला और शिल्पकला की सहायता से बड़े ही खूबसूरत ढंग से किया गया है। मंदिर लगभग 20 फीट की ऊचाई पर कत्यूरी शैली के अंतर्गत बनाया गया है। मंदिर के निर्माण में सफेद संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर का आगे का भाग पूर्व दिशा की और है ताकि सूरज की किरणे मंदिर पर पहल पड़े। मंदिर में माँ गंगा की एक भव्य प्रतिमा के साथ माता लक्ष्मी और भागीरथी , सरस्वती आदि की मूर्तियाँ भी बिद्यमान है।
गंगोत्री धाम की पौराणिक अवधारणा
हर एक पवित्र स्थल की तरह गंगोत्री धाम की भी पौराणिक अवधारणा रही है बताया जाता है की राजा सागर के अश्वमेध यज्ञ के चलते घोड़े खो जाने के कारण उन्होंने अपने 60000 पुत्रों को भेजा। घोड़े खोजते हुए वह साधु कपिला के आश्रम में जा पहुंचे। परेशान हो कर उन्होंने आश्रम और साधु पर हमला कर दिया। नाराज ऋषि कपिला ने क्रोध में आकर अपनी ज्वलंत आंखों को खोला तो सभी 60,000 पुत्र अभिशाप के कारण राख में बदल गए। बाद में अंशुमन ने देवी गंगा से प्रार्थना कि वह अपने रिश्तेदारों की राख साफ करने के लिए धरती आये। इस कार्य में असफल होने के बाद भगीरथ के कठिन तपश्या के बाद माँ गंगा ने धरती पर आई।
गंगोत्री धाम कैसे पहुंचे
पवित्र गंगोत्री धाम मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। सड़क मार्ग की अच्छी संपर्कता होने से आप यहाँ आराम से पहुंच सकते है। वही रेल मार्ग और वायुमार्ग भी गंगोत्री धाम से संपर्क रखता है लेकिन रेलमार्ग और वायुमार्ग के स्टेशन मंदिर से कुछ समय की दुरी की स्थित है
सड़क मार्ग से गंगोत्री धाम कैसे पहुंचे – सड़क मार्ग गंगोत्री धाम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह देश की राजधानी दिल्ली से लगभग से 520 किलोमीटर की दुरी पर साथ ही देहरादून से यह 230 किलोमीटर की दुरी स्थित है। सड़क मार्ग के माधयम से गंगोत्री धाम आराम से पंहुचा जा सकता है।
रेल मार्ग से गंगोत्री धाम कैसे पहुंचे – गंगोत्री धाम का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यहाँ से गंगोत्री धाम 250 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से गंगोत्री धाम के लिए बहुत से प्राइवेट कैब और बसे मिल जाती है। आप आराम से अच्छी सुविधा के साथ गंगोत्री धाम पहुंच सकते है।
वायुमार्ग से गंगोत्री धाम कैसे पहुंचे – गंगोत्री धाम का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हैं। यहाँ से गंगोत्री धाम की दुरी लगभग 260 किलोमीटर के आस पास है साथ ही जॉली ग्रांट ऋषिकेश से लगभग 20 किमी० की दुरी पर स्थित है यहाँ से बस और टेक्सी के माध्यम से आसानी से पंहुचा जा सकता है।
गंगोत्री धाम से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1.- गंगोत्री में कौन से भगवान है?
गंगोत्री मंदिर माँ गंगा को समर्पित है मंदिर में माँ गंगा के साथ साथ माता लक्ष्मी और भागीरथी, सरस्वती आदि की मूर्तियाँ भी बिद्यमान है।
2.- गंगोत्री कहां से निकलती है ?
पवित्र गंगोत्री नदी का उद्गम गोमुख पर माना जाता है है जो की गंगोत्री ग्लेशियर में स्थापित है
3.- ऋषिकेश से गंगोत्री की दूरी?
ऋषिकेश से गंगोत्री की दूरी लगभग 255 किमी० है यह से गंगोत्री धाम बस और टेक्सी के माध्यम से भी पंहुचा सकता है