मन में विश्वास हो तो आस्था और भक्ति में लुप्त श्रद्धालु जहाँ भी मंदिर दिखे वही सिर झुका लेते है। केदारनाथ धाम उन्ही स्थानो में है में से एक है जहाँ पर श्रद्धा और मक्ति के साथ विश्वास देखने को मिल जाते है केदारनाथ धाम भारत के उत्तराखंड राज्य के रुदप्रयाग जिले में स्थित है।
भगवान शंकर जी को समर्पित यह जगह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। समुद्र तल से 11746 फिट ऊंचाई में स्थित केदारनाथ अपने विशाल शिव मंदिर के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवन शिव जी बैल के पीठ की आकृति पिंड के रूप में पूजे जाते है। जहाँ हर साल लाखों की संख्या में भक्तों का आवागमन लगा रहता है। भगवान शिव जी के साथ माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा भी बिद्यमान है बता दे की मंदिर में भगवान शिव की पूजा गर्मियों में की जाती हैं सर्दियों में शिव जी की बैल रूपी प्रतिमा को उठा कर उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित किया जाता है। जहाँ भगवान शिव जी सर्दियों तक पूजे जाते है।
मंदिर | केदरनाथ धाम |
स्थित | रुदप्रयाग जिले में |
स्थापना | आदि गुरु शंकराचार्य जी |
स्थापना वर्ष | 8 वीं शताब्दी |
समुद्र तल ऊंचाई | 11746 फिट |
खुलने का समय | शिवरात्रि के बाद पंच पुरोहितो द्वारा निश्चित समय के बारें बताया जाता है |
बंद होने के समय | हर साल लगभग भाई दूज के समय |
केदारनाथ धाम का इतिहास
केदारनाथ मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। मंदिर के निर्माण विषय में कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिलता लेकिन पौराणिक कथाओ के अनुसार हजारों वर्षों से भगवान शिव जी यहाँ पूजे जाते है। केदारनाथ धाम का इतिहास हमें महाभारत काल में ले जाता है। महाभारत के लेखों से पता चलता है की महाभारत युद्ध के दौरान जब पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे तो भगवान भोले नाथ ही उन्हें भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति करा सकते थे। अंत में जब शिव जी प्रसन्न हुए तो उन्होंने पांडवो को भ्रातृहत्या के पाप से मुक्त कर दिया। जिससे खुश होकर पांडवों ने भगवान शिव के मंदिर की नींव रखकर उसका निर्माण किया था। लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण यह ध्वस्त हो गया। जिसे बाद में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने उसी पवित्र स्थान पर 8 वीं शताब्दी में दोबारा निर्माण किया।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण
हिमालय के गोद में बसे केदारनाथ मन्दिर का निर्माण विषय में बताया जाता है की मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था। मंदिर निर्माण विशिष्ट शैली ,जिसे कत्यूरी शैली कहा जाता है, के अंतर्गत किया गया है। मंदिर का निर्माण कटवां सफ़ेद पत्थर के विशाल शिलाखंडों के द्वारा बनाया गया है। मंदिर के निर्माण में इंटरलॉकिंग क्रिया का प्रयोग किया गया है जिसेक कारण यह मंदिर आज भी अपनी मजबूती के लिए जाना जाता है। यदि मंदिर के लम्बाई की बात की जाये तो केदारनाथ मंदिर की लंबाई 187 फूट, तथा इसकी चौड़ाई 80 फूट और ऊंचाई 85 फूट है। मंदिर के दीवारों की चौड़ाई 12 फूट है। मंदिर निर्माण में भरें रंग के पत्थरों का ज्यादा उपयोग किया गया है। मंदिर का ऊपरी हिस्सा यानि की छत का निर्माण लकड़ी के किया गया है इसके शिखर पर सोने का कलश देखने को मिल जाता है।
केदारनाथ धाम का पौराणिक महत्व
केदारनाथ धाम का पौराणिक गाथाओं में भी महत्व देखने को मिलता है। किंवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है की पहले यहाँ भगवान विष्णु के अवतार नर और नारयण तपस्या करते थे। उनकी आराधना को देखते हुए भगवान शंकर प्रसन्न हो कर प्रस्तुत हुए और उनकी प्रार्थनानुसार सदा ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने का वचन पूर्ण किया।
बताया जाता है की कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। जो की भगवान शिव के दर्शन से ही मुमकिन हो पाना था। लेकिन भगवान शिव जी पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे इसलिए वहाँ से अंतर्ध्यान हो कर भगवान शिव जी केदार में जा बसे। पांडवों से बचने के लिए भगवान शिव जी ने बैल रूप धारण किया। लेकिन पड़वों के वहाँ पहुंचते ही भीम ने उन्हें पहचान लिया की ये कोई और नहीं बल्कि भगवान शिव जी है। भीम जी ने अपना विशाल रूप धारण करके अपने पैर दो अलग अलग पहाड़ की छोटी में रख दिए। जब सभी बैल भीम जी के परों तले से निकले लगे तो शिव रूपी वह बैल वही खड़ी हो गई। भीम जी ने पहचान कर तुरंत उनको पकड़ना चाहा लेकिन वह शिव रूपी बैल डर के कारण जमीन में अंतर्ध्यान हो गए। केवल पीठ वाले भाग का पकड़े जाने के कारण भगवान शिव जी उनके साहस को देख कर प्रसन्न हुए और दर्शन देकर उन्हें भ्रातृहत्या के पाप से मुक्त कर दिया।
केदारनाथ मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य
- केदारनाथ पंच केदारों में से एक होने के साथ-साथ 12 ज्योतिर्लिंग में भी एक ज्योतिर्लिंग है।
- केदारनाथ मंदिर में त्रिकोण आकार का शिवलिंग पाया जाता है
- केदारनाथ मंदिर से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है की यह 400 वर्षों तक बर्फ से ढका रहा।
- यह केदारनाथ मंदिर तीन दिशाओं से पर्वतों से घिरा हुआ है।
- यह भारत का सबसे बड़ा शिव मंदिर है।
- मन्दिर का निर्माण 6 फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर किया गया है।