देवभूमि उत्तराखंड जिसे आमतौर पर धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। एक ऐसा राज्य है जिसकी परम्परा और सांस्कृतिक बिरासत पुरे देश विदेश में फैली हुई है। उत्तराखंड जो की अपनी प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही यह अपने स्थानिया त्यौहारों के लिए भी लोगों के दिल में जगह बनाया हुआ है। वाकई में उत्तराखंड की कला और संस्कृति बहुत अनोखी है। आज विदेशी लोगों द्वारा भी इसकी संस्कृति को अपनाया जा रहा है। उत्तराखंड क्लब के आज के इस लेख के माधयम से हम आपके साथ खतडुवा पर्व 2022 के बारें में जानकारी साझा करने वाले है।
खतडुवा पर्व क्या होता है
उत्तराखंड प्रकृति के साथ सीधा संबंध को दर्शाता है। जैसा की आप सभी लोग जानते ही है की हमारी धरती और पर्यावण पूरे वर्ष भर में चार ऋतुओं को बदलती है। उत्तराखंड राज्य में प्रकृति के हर ऋतू आगमन पर विशेष पर्वों को मनाये जाने का प्रावधान रहा है। जिनमे से एक है खतडुवा पर्व जो की शीत ऋतू के आगमन पर हर वर्ष हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। खास तौर पर इसे उत्तराखंड राज्य के कुमॉऊ में अधिक मनाया जाता है। शीत ऋतू आगमन पर यहाँ के लोग अपने पालतू जानवरों की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करते है। आशा करते है की आपको खतडुवा पर्व क्या होता है के बारें में जानकरी प्राप्त हो गई होगी।
खतडुवा पर्व कब मनाया जाता है
खतडुवा पर्व हर वर्ष भगवान सूर्य देव के सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करने के दौरान मनाया जाता है। जब भगवान सूर्य सिंह राशि की यात्रा समाप्त करके कन्या राशि में प्रवेश करते है तब आश्विन मास की संक्रांति के रूप में उत्तराखंड वासी पावन पर्व का महोत्सव मानते है जिसे खतडुवा पर्व और कन्या संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
2022 में खतडुवा पर्व कब है
यदि आप भी 2022 में खतडुवा पर्व कब है के सवाल से परेशान है तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। हम आपको पहले ही बता चुके है की जिस दिन भगवान सूर्य सिंह राशि की यात्रा समाप्त करके कन्या राशि में प्रवेश करते है तब उस शुभ समय के दौरान खतडुवा पर्व मनाया जाता है। जो की वर्ष 2022 में 17 सितम्बर 2022 के दिन मनाया जाएगा। सितम्बर महीने के शुरुवत से ही पहाड़ी इलाकों में ठण्ड का कहर बढ़ने लगता है। जिस कारण लोगों को अपने मवेशियों की चिंता सताने लगती है।
खतडुवा त्यौहार किस तरह से मनाया जाता है
खतडुवा त्यौहार को उत्तराखंड में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मानाने का प्रचलन रहा है। दिन की शुरुवात सभी लोग स्नान करने से करते है और उसके बाद माताओ और बहनों द्वारा घर की साफ़ सफाई करके घरों की लिपाई पुताई की जाती है। सभी रजाई गद्दों और गर्म वस्त्रों को धूप में सुखाया जाता है ताकि जो भी सीलन होती है वह अच्छे से सूख जाती है। आसोज का महीना होने के कारण सभी बड़े लोग खेती-बाड़ी के कार्यों में व्यस्त रहते है इसलिए छोटे बच्चों द्वारा ही खतड़वा के डंक सजाने का काम किया जाता है। साथ ही आज के दिन स्वादिष्ट पहाड़ी पकवानों के द्वारा दिन का भोजन किया जाता है। गौशाला में फैली हुई गन्दगी को साफ सूथरा करके वह अच्छी से मुलायम पिरूल खास बिछाई जाती है और खतड़ुवा के आशीष गीतों को गाकर गायों को खतड़ुवा की शुभकामनायें दी जाती है. पंक्तियों के माध्यम से आपको जानकारी मिल गई होगी की खतडुवा त्यौहार किस तरह से मनाया जाता है|
यह था हमारा आज का लेख खतडुवा पर्व 2022। आशा करते है की आपको यह लेख जरूर पसंद आया होगा। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और यदि आप आगे भी उत्तराखंड से सम्बंधित लेख पढ़ना चाहते है उत्तराखंड क्लब को सब्सक्राइब कर सकते है। यदि आप भी उत्तराखंड से सम्बंधित लेख हम तक पहुँचाना चाहते है तो आप गेस्ट पोस्ट भी लिख सकते है आप हमारें साथ फेसबुक और और इंस्टाग्राम के द्वारा भी जुड़ सकते है।