किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ कृषि के क्षेत्र में विकास का होना बहुत जरूरी है. क्योंकि हम सभी क्षेत्र में विकास कर सकते हैं लेकिन उनमें से हमारा मुख्य मकसद कृषि को बढ़ावा देना है| जैसा कि हम सभी लोग जानते ही हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसके कारण लगभग हर राज्य में कृषि को महत्व दिया जाता है| हर राज्य की तरह उत्तराखंड राज्य में भी कृषि को महत्व दिया गया है भारतीय कृषि में लगभग 3.5 प्रतिशत योगदान उत्तराखंड का है वहीं दूसरी तरफ देखे तो उत्तराखंड में उत्पादन की जाने वाली सभी उत्पादों की कीमतें लगभग अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा होती है वह इसकी शुद्धता, ऑर्गेनिक और सही तरीके से उगाएं जाने का प्रतीक है|
उत्तराखंड की लगभग 90% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है कृषि कार्य करके ही वह अपना जीवन यापन किया करते हैं. अगर बात की जाए राज्य में कुल खेती योग्य भूमि की तो लगभग 7.84.117 हेक्टेयर के क्षेत्र में कृषि की जाती है वहीं दूसरी तरफ देखे तो कुल जनसंख्या का 75% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र का है जोकि पहाड़ों में रहकर कृषि करते हैं. उत्तराखंड कृषि में सबसे अधिक उत्पादन चावल और गेहूं का किया जाता है. मैदानी क्षेत्र में कृषि करने लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाता है जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि करने के लिए परम्परागत साधनों का उपयोग किया जाता है|
उत्तराखंड राज्य के प्रमुख कृषि उत्पाद
- बाजरा
- मडुआ ( रागी )
- धान
- गेहूं
- जौ
- कौणी
1- बाजरा – बाजरा उत्तराखंड में उगाए जाने वाले प्रमुख उत्पादों में से एक है. जैविक तरीके से उगाए जाने वाली इस फसल को मैदानी एवं पर्वतीय दोनों क्षेत्रों में उगाया जाता है. बाजरा की कई प्रकार की किस्में होती है जिनमें कि प्रियांगु, स्यामक और अनु जैसे प्रमुख है. खास तौर पर इसका उपयोग रोटी बनाने के लिए किया जाता है. बाजार में इसका आटा लगभग हर देश परदेश में उपलब्ध मिल जाता है इसके अलावा बाजरे का उपयोग कई प्रकार के सुपरफूड और अन्य चीजों में भी किया जाता है. इसमें तमाम प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं बताना चाहेंगे कि उत्तराखंड कृषि उत्पादन का लगभग 15% बाजरा का उत्पादन किया जाता है जिसमें मुख्य रुप से देहरादून ,पिथौरागढ़ ,टेहरी और चमोली जैसे जिलों में इसका उत्पादन सर्वश्रेष्ठ मात्रा में किया जाता है. इसका उत्तपदन लगभग हर जल निकासी वाली भूमि में किया जा सकता है बाजरा उत्पादन का मुख्य समय जून-जुलाई तक मानी जाती है|
2- मडुआ ( रागी ) – मडुआ उत्तराखंड के मुख्य आहार में से एक है जिसे कई अन्य क्षेत्रों में कोदा के नाम से भी जाना जाता है एक सुंदर सा छोटे-छोटे दानों वाला दिखने वाला यह पौधा जिसे उत्तराखंड में देवता माना जाता है. वैसे तो इसका उपयोग कई चीजों में किया जाता है. लेकिन खासतौर पर उसे रोटियां बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है. इसके अलावा इसका उपयोग आजकल केक, पुडिंग, ब्रेड और दलिया जैसे पौष्टिक तत्वों को बनाने में किया जाता है कुल कृषि भूमि का लगभग 70% भाग में मडुआ उगाया जाता है. पहाड़ी एवं मैदानी दोनों क्षेत्रों में इसका उत्पादन भरपूर मात्रा में किया जाता है पौष्टिक तत्वों से भरपूर मडुआ को भारत के अलावा अन्य देश विदेशों में भी बेचा जाता है जो कि उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है इसे उगाने के लिए ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है वही बात की जाए इसे उगाने का समय के बारे में तो इसे जून के मध्य से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक बोया जाता है|
3- धान – धान को उत्तराखंड के मुख्य फसलों में से एक माना जाता है. क्योंकि एक तो यहां सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है इसे उगाने का जो तरीका है वह बहुत ही प्यारा है जिससे हर एक उत्तराखंड का व्यक्ति बहुत पसंद करता है. धान जिसे स्थानीय बोलियों में कई जगह सट्टी के नाम से भी जाना जाता है इसका उपयोग भात बनाने के साथ-साथ कई अन्य चीजों में भी किया जाता है जैसे कि गढ़वाल की एक फेमस रेसिपी जिसे चुड़या के नाम से जाना जाता है वह भी धान के माध्यम से ही बनाई जाती है| उत्तराखंड के कुल कृषि भूमि के लगभग 21 प्रतिशत भाग पर धान उगाया जाता है| जिसमें इसके उत्पादन के प्रमुख जिले देहरादून ,नैनीताल ,हरिद्वार बागेश्वर आदि शामिल है इस फसल को उगाने के लिए सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ती है इसलिए इसे पर्वतीय इलाकों में कम हो उगाया जाता है| इसे उगाने का उपयुक्त समय मई की शुरुआत से जून के अंत तक माना जाता है|
4- गेहूं – गेहूं उत्तराखंड राज्य का प्रमुख फसल है.जिसे कुल कृषि भूमि के 33 प्रतिशत भाग पर बोया जाता है जिसके लिए दोमट मिट्टी का उपयोग सर्वश्रेष्ठ माना जाता है एक खूबसूरत सा गुच्छे दार दिखने वाला यह पौधा उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में काफी अधिक मात्रा में उगाया जाता है. इसके लिए 50 से 70 सेंटीमीटर की वर्षा शुरुआत में काफी जरूरी माना जाता है . यहां पर शुद्ध और ऑर्गेनिक तरीके से उगाए जाते है. गेहूं का उपयोग अधिकतम रोटियां बनाने में किया जाता है लेकिन इसके अलावा इसके बहुत से उपयोग आपको देखने को मिल जाते हैं. बताना चाहेंगे कि किसानों की आय का मुख्य साधन गेहूं मानी जाती है. जिसके बुवाई का समय अक्टूबर माह की शुरुआत से ही शुरू हो जाती है |
5- जौ – जौ का उत्पादन भी उत्तराखंड में किया जाता है इसका पौधा दिखने में गेहूं की तरह होता है लेकिन इसका उपयोग गेहूं से काफी अलग होता है. यह बात कहना गलत होगा कि हम लोग जौ से रोटियां तैयार नहीं कर सकते. हम रोटियां तैयार कर सकते हैं लेकिन इसके लिए इसका उपयोग कुछ अलग तरीके से किया जाता है आपको बताना चाहेंगे कि उत्तराखंड के पौड़ी, अल्मोड़ा ,नैनीताल और उत्तरकाशी जैसे जिलों में इसका उत्पादन काफी अच्छी मात्रा में किया जाता है.और इसे उगाने के लिए ना तो किसानों को ज्यादा मेहनत लगती है और ना ही इसके लिए किसी अच्छी भूमि की जरूरत होती है इसे सामान्यतय हर मिट्टी में उगाया जा सकता है. इसकी अक्टूबर माह में बोने की तैयारी शुरू की जाती है|
6- कौणी – कौणी उत्तराखंड एक जानी-मानी फसल है जिसका उत्पादन उत्तराखंड के लगभग हर जिले में तो किया जाता है लेकिन कम मात्रा में किया जाता है| एक सुंदर सी सियार की सुनहरी पूछ की तरह हिलती ढलती यह फसल बाजरे की तरह होती है. पौष्टिक तत्वों से भरपूर कौणी का उपयोग ब्रेड बनाने और अन्य कई प्रकार के सुपर फूड कौणी के माध्यम से बनाए जाते हैं. बताना चाहेंगे कि कम उत्पादन होने के कारण कौणी जैसी सुनहरी फसल अब धीरे-धीरे विलुप्त के कगार पर पहुंच चुकी है|
उत्तराखंड राज्य में उगाई जाने वाली प्रमुख दालें
ऊपर दिए गए फसलों के अलावा भी उत्तराखंड राज्य में कई प्रकार की एवं कई किस्म की दाले उगाई जाती है जो कि पौष्टिक तत्वों से भरपूर एवं काफी उपयोगी साबित होती है| शुद्ध एवं ऑर्गेनिक तरीके से उगाई जाने वाली इन दलों का उपयोग कई चीजों में किया जाता है. जो कि हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के लिए अहम भूमिका निभाते हैं दालों का उत्पादन भी उत्तराखंड में काफी अच्छी मात्रा में किया जाता है और इसे उगाने के लिए किसी अन्य भूमि यानी कि अलग से खेत की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि किसी भी फसल के साथ किसानों द्वारा इसे बोया जाता है. उत्तराखंड में उगाई जाने वाली प्रमुख दालें कुछ इस प्रकार से है|
- लोबिया
- गहत
- भट
- राजमा
- मटर
- मसूर
- चना
- मास
उत्तराखंड राज्य के कृषि उत्पाद का प्रतिशत
फसल का नाम | कुल कृषि भूमि का उत्पादन प्रतिशत | उत्पादन के प्रमुख जिले |
बाजरा | 8 प्रतिशत | देहरादून, हरिद्वार ,उधम सिंह नगर |
मडुआ ( रागी ) | 13 प्रतिशत | देहरादून, हरिद्वार, |
जौ | 11 प्रतिशत | देहरादून, उधम सिंह नगर ,हरिद्वार, |
कौणी | 5 प्रतिशत | पौड़ी, रुद्रप्रयाग ,चमोली |
गेहूं | 33 प्रतिशत | देहरादून, उधम सिंह नगर ,हरिद्वार नैनीताल |
धान | 18 प्रतिशत | देहरादून ,हरिद्वार ,पौड़ी, बागेश्वर |
मक्का | 7 प्रतिशत | देहरादून ,हरिद्वारउधम सिंह नगर |
उत्तराखंड राज्य में कृषि तकनीक
उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य होने के कारण यहां कृषि कर पाना बहुत ही कठिन है. शहर के मुकाबले यहां के किसानों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है. जिसका सीधा सा कारण है कि तकनीकों का अभाव| जैसा कि हम लोग जानते ही हैं कि उत्तराखंड कृषि का 75 प्रतिशत पर्वतीय क्षेत्र है जहां पर नई तकनीकी मशीनों का उपयोग कर पाना बहुत कठिन है इसका सीधा सा असर उत्पादन पर पड़ता है वहीं दूसरी तरफ पहाड़ी क्षेत्रों में सिंचाई के साधन कम होने के कारण फसलों को समय पर पानी नहीं मिल पाता है जिस कारण अधिकांश फसल नष्ट हो जाती है |