उत्तराखंड को अलौकिक छवि प्रदान करने में विभिन्न महान पुरुषों का योगदान है। जिनके अनमोल एवं सहारनीय कार्यों के चलते ही उत्तराखंड समृद्ध होने के साथ साथ ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध बन पाया है। उन्हीं महान पुरुषों की श्रेणी में चित्रकारों का महत्वपूर्ण योगदान है। आज के लेख के माध्यम से हम आपको उत्तराखंड के प्रमुख चित्रकार के बारें में जानकारी देने वाले है। उत्तराखंड में चित्रकारी का इतिहास प्राचीन है। यहाँ के चित्रकार विभिन्न एवं आकर्षक शैलियों में चित्रकारी किया करते थे। चलिए एक नजर उत्तराखंड के चित्रकला शैली के इतिहास पर डाल लेते है।
उत्तराखंड चित्रकला का इतिहास
जैसा की हम आपको पहले ही बता चुके है की उत्तराखंड चित्रकला का इतिहास प्रचीन काल से जुड़ा हुवा है। चित्रकला की विभिन्न शैलिया मौजूद होने से चित्रकारों अनेक से प्रसिद्ध ऐतिहासिक चित्रों का निर्माण किया। जिनके कुछ स्मृतिया लाखु, ग्वारख्या, किमनी गांव आदि जगह देखने को मिल जाते हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख चित्रकार
- मोला राम
- शामनाथ चित्रकार
- शिवराम
- मानकु
मोला राम
उत्तराखंड के प्रमुख चित्रकारों में मोला राम जी का नाम सर्वश्रेष्ठ स्थान पर आता है। गढ़वाल चित्र शैली में उनका अविश्वमरणीय एवं अद्वितीय योगदान है। इनके प्रकाशन का सर्वप्रथम श्रेय बैरिस्टर मुकुन्दीलाल को जाता है। इनके प्रयासों से ही मोला राम उत्तराखंड के चर्चित चित्रकारों में आएं। इनकी प्रसिद्ध रचनाओं में गढ़राजवंश का इतिहास है। बताना चाहेंगे की इनके चित्रों का संग्रह आज भी बोस्टन म्यूजियम में संग्रहित है।
शामनाथ चित्रकार
उत्तराखंड चित्रकारिता के क्षेत्र में मोला राम के साथ शामनाथ जी का भी महत्वपूर्ण योगदान देखने को मिलता है। वह उन हस्तियों में से एक है जिनके प्रयासों से ही उत्तराखंड में चित्रकला उभरी और दुनिया के सामने आयी। वह राज्य की राजधानी श्रीनगर में राजा पृथपाल शाह के दरबारी थे। जिनके चित्रों में 1625 -1660 के की शैली देखने को मिलती है।
शिवराम
मोला राम के बाद गढ़वाल क्षेत्र की चित्रकला धीरे धीरे अवनति होने लगी। लेकिन ऐसा नहीं है की उसके बाद गढ़वाल में कोई चित्रकार उभर कर नहीं आया। मोला राम के वंशज माने जाने वाले शिवराम गढ़वाल चित्रकला की बागडोर लेते हुए आगे बढ़ते गयें। जिन्होंने विभिन्न शैलियों के द्वारा उत्तराखंड चित्रकला को जीवंत रखा।
मानकु
मानकु पंडित सेऊ की पुत्री थी। जो की उत्तराखंड के प्रमुख चित्रकार में से एक है। गढ़वाल चित्रशैली में इनके द्वारा बहुत से प्रसिद्ध चित्र है। जो की न केवल संस्कृति से सम्बंधित होती थी। बल्कि उनकी चित्रकला में प्राकृतिक सौन्दर्यता का प्रस्तुतीकरण बड़े ही प्यारें ढंग से उभर कर आता है।