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उत्तराखंड के प्रमुख कृषि यंत्र

by Surjeet Singh
उत्तराखंड के प्रमुख कृषि यंत्र

जैसा की हम सभी लोग जनते ही है की उत्तराखंड  एक कृषि प्रदान राज्य  है। कृषि कार्यों के माध्यम से ही लाखों लोग अपना जीवन यापन किया करते है।  कृषि कार्यों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।  कृषि ही देश की रीढ़ की हड्डी है जिसके बिना देश कभी आगें नहीं बढ़ सकता है।  हमारें भारतीय कृषि में तमाम प्रकार के कृषि यंत्र प्रयोग में लाएं जाते है। आज हम आपको उत्तराखंड के प्रमुख कृषि यंत्रों के बारें में बताने वाले है । जो की अपने आप में एक गहरा इतिहास रखते है।  पौराणिक काल से ही हम लोग कृषि कार्यों से जुड़े हुए है ।  नए नए अविष्कारों के चलते हम लोग अपने ऐतिहासिक कृषि यंत्रों को भूलते जा रहे है।  आज हम आपको उन्हीं कृषि यंत्रों के बारें में जानकारी देने वाले है।

उत्तराखंड के प्रमुख कृषि यंत्र

उत्तराखंड कृषि में विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र प्रयोग में लाये जाते है।  हर कार्य को करने के लिए विशेष तरह के यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।  समय के चलते कृषि यंत्रों में बदलाव किये गए लेकिन ग्रामीण  क्षेत्र के किसानों द्वारा पुराने यंत्रों के इतिहास और महत्व को आज भी जीवंत रखा गया है।

  1. हल
  2. दन्दोल
  3. दराती
  4. कुटली
  5. जोल पट्टा
हल

उत्तराखंड के प्रमुख कृषि यंत्र में हल प्राचीन होने के साथ साथ ऐतिहासिक भी है।  आज भले ही नवीन कृषि यत्रों का आगमन हो चूका है लेकिन प्राचीन कृषि यंत्र हल का उपयोग आज भी ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलता है।  हल बेलों के माध्यम से चलने वाला एक कृषि यंत्र है जो की खेती की बुवाई के एवं जुताई के लिए उपयोग में लाया जाता है।  यह विशेष कृषि यंत्र लकड़ी के द्वारा बनाया जाता है।  इसके मुख्या रूप से तीन भाग होते है।

दन्दोल

दन्दोल नाम पढ़ने में भले ही अद्भुत सा लग रहा हो लेकिन यह उत्तराखंड का पारंपरिक  कृषि यंत्र है।  इसका उपयोग निराई गुड़ाई के लिए किया जाता है।  विशेष शैली से निर्मित यह यंत्र ग्रामीण क्षेत्र के किसानों द्वारा उपयोग में लाया जाता है।  आज भले ही शहरी क्षेत्र में नए अविष्कारों ने जन्म ले लिया हो लेकिन लेकिन दन्दोल  आज आज भी पहाड़ की शान है।

दराती

दराती का उपयोग उत्तराखंड की महिलाओं द्वारा घास काटने के लिए किया जाता है।  यह महिलाओं का मुख्या हथियार माना जाता है जो की उनकी सुरक्षा में भी भूमिका निर्वाह करता है।  जंगल में जाते समय अपनी सुरक्षा के लिए महिलाओं द्वारा दराती साथ में ली जाती है।  घास काटने के अलावा यह घर के अन्य कार्यों में उपयोग में लाया जाता है।

कुटली

कुटली, उत्तराखंड के प्रमुख कृषि यंत्र  में से एक है।  आमतौर पर इसका उपयोग निराई गुड़ाई के लिए किया जाता है।  यह विभिन्न तरह के एवं विभिन्न अकार के होते है। इसका एक हिस्सा लोहा एवं दूसरा हिस्सा लकड़ी का होता है।  इसक निर्माण लोक वासियों द्वारा ही लकड़ी के माध्यम से किया जाता है।  प्राचीन कृषि यंत्र होने के साथ साथ इसका ऐतिहासिक महत्व भी देखने को मिलता है। कुटली पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक लोकगीत भी बने हुए है।

जोल पट्टा

जोल पट्टा उत्तराखंड के पारम्परिक कृषि यंत्रों में से एक है।  जोल का उपयोग खेती की बुवाई के बाद खेत को मैदानी रूप ( सीधा एवं सपाट ) देने के लिए किया जाता है।  आमतौर पर यह कार्य हल के माध्यम से भी पूर्ण किया जाता है।  लेकिन जोल पट्टा इसका सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।  एक चौड़े पट्टें के रूप में यह देखने को मिल जाता है।  बुवाई कार्य के दौरान छोटे बच्चों द्वारा इसमे बैठ कर लगाएं जाने का रिवाज भी काफी प्रसिद्ध है।

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