उत्तराखंड जो की ग्रंथों में केदारखंड के नाम से भी जानी जाती है। अपनी कला और संस्कृति के बलबूते पर पुरे देश में विख्यात है। यहाँ के लोकगीतों एवं संगीत में आदिकाल की झलक देखने को मिलती है। सामान्यतः लोकगीतों का गायन अपने शब्दों को संगीतमय माध्यम से दूसरे तक पहुँचाना होता है। अब वो किसी व्यक्ति विशेष या भगवान के लिए भी हो सकता है। अपने प्रेम और भक्ति भाव को प्रकट करने के लिए उत्तराखंड में अनेक से लोकगीतों का गायन किया जाता है। आज के लेख में हम उत्तराखंड के प्रमुख लोकगीत के बारें में जानकारी देने वाले है।
उत्तराखंड के प्रमुख लोकगीत
- खुदेड़ गीत
- ऋतुगीत
- मांगलिक गीत
- जागर गीत
- झुमैलो गीत
- झोड़ा
- होरी गीत
- न्यौली
खुदेड़ गीत
उत्तराखंड के प्रमुख लोकगीत में खुदेड़ गीत एक है। जिसे यहाँ की महिलाओं द्वारा अपने निर्मल हृदय से भवनाओं को प्रकट करने के लिए गायन किया जाता है। किवदंती है की महिलाओं द्वारा अपने पति एवं मायके की याद में खुदेड़ गीत गया जाता है। जब पति रोजगार की तलाश में घर से बहार जाते है तो उनको अपने पति के साथ मायके की याद सताती है। बेचैन महिलाओं के पास खुदेड़ ( किसी के याद सतना ) के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है।
ऋतुगीत
प्रकृति के ऋतू परिवर्तन के दौरान गायन किये जाने वाले मधुर गीतों को ऋतुगीत कहते है। उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य का एक हिस्सा है। जिसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। प्रकृति के ऋतू परिवर्तन के दौरान यह खूबसूरत होने के साथ साथ मनोरम हास्य प्रदान करता है। जिसकी ख़ुशी के लिए उत्तराखंड वासी ऋतुगीत गया करते है। यह गीत हर ऋतू परिवर्तन पर अलग अलग होते है।
मांगलिक गीत
उत्तराखंड में शादी के शुभावसर एवं अन्य मांगलिक कार्यें पर विशेष प्रकार के गीतों को गाने का रिवाज है। जिन्हें यहाँ मांगलिक गीत कहा जाता है। शादियों के दौरान सबसे पहले मांगलिक गीतों को लगाएं जाने का प्रावधान है। हर मंगल कार्य के लिए अलग अलग तरह के गीत बनायें गए है जिनका ऐतिहासिक एवं धार्मिक तौर पर बड़ा ही महत्व माना जाता है।
जागर गीत
देवी देवताओं के आह्वान के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले गीतों को जागर गीत कहा जाता है। ऐतिहासिक और धार्मिक तौर पर इन गीतों का बड़ा ही महत्व माना जाता है। जागर पद्द्ति पर आधारित यह गीत डोल,दमाऊ और थाली के माध्यम से गायें जाता है। जागर गाने वालों को जगरी एवं देवी देवताओं के स्वरुप को डंगरिया कहा जाता है।
झुमैलो गीत
उत्तराखंड के प्रमुख लोकगीत में झुमैलो गीत सर्वश्रष्ठ स्थान पर आता है। महिलाओं द्वारा गायन किया जाने वाला यह लोकप्रिय गीत है। कोमल ह्रदय की वेदना और प्रेम के साथ आपसी एकता इस गीत में झलकती हुई दिखती है। वसंत पंचमी के शुभावसर पर गाया जाने वाला यह गीत महिलाओं द्वारा टोली बनाकर नृत्य के साथ गाया जाता है। शुरुवाती तौर पर यह अपनी चरम अवस्था पर थी लेकिन धीरे धीरे यह अपनी पहचान खोता जा रहा है।
झोड़ा
कुमाऊँ के प्रसिद्ध नृत्यों में शामिल झोड़ा एक सामूहिक नृत्य गीत है। जिसकों पुरुष एवं महिलाओं द्वारा बड़ी ही एकता के साथ गोल घेरे में खड़े होकर किया जाता है। इसकी एक प्रमुख विशेषता यह है की इस गीत को गाने वाला गोल घेरे में खड़े हो कर हुड़की के साथ गीत का गायन करते है।
होरी गीत
होली महोत्सव के दौरान गायें जाने वाले गीतों को होरी गीत कहा जाता है। वसंत ऋतू में हर तरह के गीत गायें जाते है जिनमें से एक है होरी गीत। इस गीत की मुख्या विशेषता यह है की इस गीत को गानें के दौरान सभी पुरुष गीत का वादन करते हुए पुरे गांव में घूमा करते है। और एक टोली के माध्यम से बड़े ही सभ्य तरीके से इस गीत के साथ नृत्य भी किया जाता है।
न्यौली
न्यौली के बिना उत्तराखंड के लोकगीत अधूरें है। न्यौली एक चिड़िया का नाम है जो जंगल में भटकती रहती है| लोकमान्यताओं के अनुसार न्यौली में संयोग और वियोग देखने को मिलती ही . संयोग में प्रेमी से मिलने की बेचैनी और हास-परिहास शामिल है जबकि वियोग में दिलों की गहराई तक छूने की पीड़ा है |