प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण उत्तराखंड प्राचीन समय से ही पवित्र एवं दिव्य आत्माओं का निवास माना जाता है। पौराणिक काल से ही यह देवो की भूमि रही है इसलिए इसे देवभूमि की संज्ञा प्राप्त है। आस्था और भक्ति के प्रतिक यहाँ के मंदिर एवं पवित्र स्थल ऐतिहासिक महत्व को समेटे हुए पूरे विश्व भर में विख्यात है। यहाँ के पवित्र मंदिरों एवं स्थलों में उत्तराखडं संस्कृति की अलौकिक छवि झलकती है। आज हम आपको उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों के बारें में जानकारी देने वाले है।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर
- केदारनाथ मंदिर
- कैची धाम मंदिर
- बदरीनाथ मंदिर
- गर्जिया देवी मंदिर
- गंगोत्री धाम
- कालिंका माता मंदिर
- यमुनोत्री धाम
- ताड़केश्वर मंदिर
केदारनाथ मंदिर
केदारनाथ मंदिर चारों प्रमुख धामों में से एक है। जो की उत्तराखंड राज्य के रुदप्रयाग जिले के अंतर्गत आता है। आस्था और भक्ति का प्रतिक यह धाम 12 ज्योर्तिर्लिंगो मे से एक है। समुद्र तल से 11746 फिट ऊंचाई में स्थित केदारनाथ अपने विशाल शिव मंदिर के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। तीनो दिशाओ में पहाड़ों से घिरे केदारनाथ मंदिर का निर्माण 8 वीं ईस्वी में आदि-शंकराचार्य द्वारा एक विशिष्ट शैली कत्यूरी शैली के अंतर्गत कटमा पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर किया गया है।
कैची धाम मंदिर
देवभूमि उत्तराखंड में अनेक से प्रसिद्ध मंदिर हैं। जिनमे से एक कैची धाम मंदिर नैनीताल हैं। यह मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले के कैची गांव में बसा हुआ है | यह मंदिर भवाली (अल्मोड़ा मार्ग की ओर) से 19 किमी0 पर व नैनीताल पर्यटन क्षेत्र से 20 किमी0 पर स्थित है। यह माना जाता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालु अगर सच्चें मन व भक्ति भावना से कामना करते हैं तो उनकी मनो कामना जरूर पूर्ण होती है।
बदरीनाथ मंदिर
बद्रीनाथ मंदिर चार छोटे धामों में से एक है जो की चमोली जिले के नर और नारायण पर्वतों के मध्य स्थित है। 108 दिव्य देसमों में से एक यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार बद्रीनारायण को समर्पित है। समुद्रतल से 3133 मी० की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का निर्माण वैद्धिक काल का माना जाता है लेकिन 8वीं शदी में आदि शंकराचार्य ने पुनरूद्धार किया था। यहाँ पर भगवान विष्णु की बद्रीनारायण के रूप में पूजा की जाती है।
गर्जिया देवी मंदिर
यह मंदिर रामनगर से करीब 15 किमी० पर एवं सुन्दरखाल गाँव में कोसी नदी पर स्थित हैं। माता का यह भव्य मंदिर नदी के मध्य में एक पहाड़ की छोटी सी चोटी पर स्थित है। हिमालय पुत्री उमा (पार्वती) गिरिराज की बेटी होने से उन्हें गर्जिया (गिरिजा) कहते हैं। गर्जिया देवी माता मंदिर रामनगर में जंगलो के बीच हैं हर साल इस मंदिर में 5 लाख से भी अधिक श्रद्धालु आते हैं ।
गंगोत्री धाम
माँ गंगा के उद्गम स्थल को गंगोत्री धाम के नाम से जाना जाता है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह भारत के चार छोटे धामों से एक है जिसका पड़ाव दूसरे स्थान पर यानि की यमनोत्री के बाद आता है समुद्रतल से 980 फीट की उचाई पर स्थित यह स्थल भारत के पवित्र स्थलों में से एक है। इसीलिए इसे हिंदू धर्म में गंगोत्री को मोक्षप्रदायनी माना गया है। माना जाता है की यहाँ की यात्रा करके इंसान के सारे पाप धूल जाते है।
कालिंका माता मंदिर
कालिंका माता मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी एवं अल्मोड़ा जिले में स्थित एक पवित्र मंदिर है। जो की अपनी धार्मिक आस्था के लिए पूरे उत्तराखंड में मशहूर है। यह गढ़वाल एवं कुमाऊँ की एकता का प्रतिक माना जाता है। प्राकृतिक सौन्दर्यता से परिपूर्ण यह मंदिर लाखों श्रृदालुओं को अपनी और आकर्षित करती है। पावन मंदिर धाम में हर तीन वर्ष में एक भव्य मेलें के आयोजन किया जाता है। जिसमें दूरवर्ती क्षेत्र से लोग पधार कर माता का आशीर्वाद लेते है।
यमुनोत्री धाम
देवी यमुना को समर्पित यह धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। जिसे देवी यमुना का निवास एवं यमुना नदी का उद्गगम स्थल माना जाता है। समुद्र तल से 4421 मी० की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर कालिंद पर्वत की चोटी पर बनी हुई है। यह चार छोटे धामों का पहला पड़ाव रहता है जहाँ से चार धाम की यात्रा शुरू होती है।
ताड़केश्वर मंदिर
भगवान शिव जी को समर्पित यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल के जहरीखाल विकासखण्ड के अन्तर्गत लैन्सडौन के समीप स्थित प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर चीड़ एवं देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित शांत एवं प्रकृति के मनोरम हास्यों के लिए प्रसिद्ध है। शृद्धालुओं की मान्यता के आधार पर बताया जाता है की जो भी भक्त यहाँ सच्चें मन से प्रार्थना करते है भगवान उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण करते है।