देवभूमि उत्तराखंड न केवल अपने पवित्र धाम व प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए प्रसिद्ध है। बल्कि देवों की भूमि में जन्मे अनेक से महान पुरुष ऐसे है जिनका गुणगान पूरा देश सदियों से करता आ रहा है। चाहे वह साहित्य के क्षेत्र में हो या कला के क्षेत्र में। हर क्षेत्र उत्तराखंड के महान पुरुषों ने अपना योगदान दिया है। आज हम बात करने वाले है उत्तखण्ड के प्रमुख साहित्यकार के बारें में जिनकी रचनाएँ न केवल देश में बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध है।
उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकार
- मनोहर श्याम जोशी
- सुमित्रा नंदन पंत
- गौरा पंत शिवानी
- डॉ शिव प्रसाद डबराल
- शेखर जोशी
- लीलाधर जगूड़ी
- शैलेश मटियानी
मनोहर श्याम जोशी
मनोहर श्याम जोशी उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकारों में से एक है इनका जन्म 1935 में अजमेर में हुआ था लेकिन यह मूल रूप से अल्मोड़ा के रहने वाले थे। मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखित उपन्यास के लिए उन्हें 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। यह न केवल उपन्यास तक ही सिमित थे बल्कि हिंदी फिल्म पापा कहते हैं के लिए भी उनके द्वारा ही लिखा गया था। बात अगर धारावाहिक की जाये तो इनका नाम विशेष स्थान पर आता है। हमराही , मुंगेरीलाल के हसीन सपने और भैय्या जी कहिन आदि इनके प्रमुख धारावाहिक है।
सुमित्रा नंदन पंत
सुमित्रा नंदन पंत उत्तराखंड मूल के रहने वाले है। इनका जन्म 20 मई 1900 को कौसानी में हुआ था। सुमित्रा नंदन पंत के पिता का नाम गंगदत्त पंत है और वह उनके आठवीं संतान थे। बचपन में इन्हें गुसाई दत्त के नाम से पुकारा जाता था। वह छायावादी युग के प्रमुख कवि है। जिनके लिए उन्हें वर्ष 1968 में चिदंबरा के लिए प्रथम ज्ञानपीठ पुरष्कार से सम्मानित किया गया। इनकी मृत्यु सन 29 दिसम्बर 1977 को हुई।
गौरा पंत शिवानी
प्रमुख कवियत्री गौरा पंत शिवानी का जन्म उत्तराखंड के राजकोट(अल्मोड़ा ) में वर्ष 1923 में हुआ। वह हिंदी की प्रसिद्ध कवियत्रियों में से एक है। उनकी प्रमुख कृतियाँ में विषकन्या, चौदह फेरे, मायापुरी व कृष्णाकली, गहरी नींद, अतिथि, आदि है। इन्हें पदम् श्री पुरष्कार से सन 1981 में नवाजा गया था साथ ही उन्हें भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सम्मान से भी 1979 में सम्मानित किया गया है।
डॉ शिव प्रसाद डबराल
डॉ शिव प्रसाद डबराल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के गहली गांव में सन 12 अप्रैल 1912 को हुआ था। इनके पिता का नाम कृष्ण दत्त डबरात और माता का भानुमति डबराल है। भूगोल विषय से इन्होने पीएचडी की है। दुगड्डा में स्थित अपने गांव में इन्होने उत्तराखंड विद्या भवन पुस्तकालय खोला। घुमक्कड़ी शौक होने के कारण इनको इनसाइक्लोपीडिया ऑफ उत्तराखण्ड के नाम से भी जाना जाता है। इनकी प्रमुख रचनाएँ उत्तराखण्ड का इतिहास 12 भागों में, उत्तरांचल के अभिलेख व मुद्रा, गोरा बादल, गढ़वाली मेघदूत आदि प्रमुख है।
शेखर जोशी
शेखर जोशी उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकार में से एक है । इनका जन्म सन 10 सितंबर 1932 अल्मोड़ा जिले में हुआ। इनकी प्रमुख कृति “एक पेड़ की याद” के लिए इन्हें 1987 में महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार मिला। इन्होने उत्तराखंड साहित्य के क्षेत्र में हिंदी जगत को कई रचनाएँ प्रदान की। प्रमुख प्रकाशित कृतियाँमेरा पहाड़, कोसी का घटवार,नौरंगी बीमार है, साथ के लोग, आदि प्रमुख है।
लीलाधर जगूड़ी
लीलाधर जगूड़ी का जन्म 01 जुलाई 1940 को धंगण गाँव, टिहरी जिले में हुआ। वह साहित्य अकादमी के पुरस्कार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित है। इनकी प्रसिद्ध कृतियों में रात अब भी मौजूद, ईश्वर की अध्यक्षता में,बची हुई पृथ्वी, भह शक्ति देता है, नाटक जारी है आदि हैं|
शैलेश मटियानी
शैलेश मटियानी का जन्म उत्तराखंड में सन 1931 को अल्मोडा जनपद में हुआ। इनका मूल नाम रमेश चंद्र है। शैलेश मटियानी जी उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकार ( आंचलिक कथाकार या कथा शिल्पी) के नाम से भी जाने जाते है। प्रसिद्ध कवि शैलेश मटियानी को उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा महाभोज कहानी के लिए पुरस्कार दिया गया। शैलेश मटियानी का पहला उपन्यास बोरी बल्ली से बोरीबन्दर माना जाता है। उनकी प्रमुख रचनाएँ कबूतरखाना, चौथी मुट्ठी, एक मूंठ सरसों, भागे हुए लोग, आदि शामिल है।