उत्तराखंड को देवभूमि बनाने में नारी शक्ति का योगदान स्मर्णीय एवं अतुलनीय माना जाता है। प्राचीन काल से ही नारी पूजा के साक्ष्य ग्रंथों एवं पुराणों में बिद्यमान है। नारी शक्ति के उत्तरोत्तर प्रयासों से उत्तराखंड को वीरबाला नारी की ख्याति प्राप्त हुई। ना केवल राज्य आंदोलन में बल्कि राज्य एकता आंदोलन में भी इनकी महान भूमिका देखने को मिलती है। वाकई में नारी शक्ति ही राष्ट्रीय शक्ति है। नारित्वा के बिना जग जीवन की कामना करना भी ध्यान से परे है। आज के इस लेख में हम आपको उत्तराखंड की प्रमुख महान महिलाओं के बारें में बताने वाले है।
उत्तराखंड की महान महिलाएं
राज्य की प्रमुख महिलाएं जहाँ वे अपने कार्य के लिए पूरे देश प्रदेश में प्रसिद्ध है। एक तरफ वीर बाला नारी के लिए तो दूसरी तरफ वह एक आंदोलनकारी एवं समाजसेवी के लिए जानी जाती है।
- तीलू रौतेली
- कर्णावती
- गौरा पंत शिवानी
- बछेंद्री पाल
- मीना राणा
- गौरा देवी
1.- तीलू रौतेली
उत्तराखंड की प्रमुख महिलाओं में तीलू रौतेली एक है। जो की एक महान नारित्वा के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखंड की एकमात्र वीरांगना जो 15 वर्ष की आयु में ही रणभूमि में कूद पड़ी। अपने कुशल प्रशिक्षण के चलते वह अपने दुश्मनों से विजयी होती है। एक साहसिक नारी जिनके कार्यों को आज भी पूरा देश स्मरण रखता है।
2.- कर्णावती
कर्णावती ने 1531 में महीपति के देहावसान हो जाने के पश्चात गढ़वाल राज्य का शासन संभाला। एक महान नारी नारित्वा के तौर पर उन्होंने नाक काटने की प्रथा का प्रचलन शुरू किया। जिसके चलते वह नाक काटने वाली रानी के नाम से विख्यात हुई। उनके शासन में उनके नियमों का उल्लंघन करना बड़ा ही दंडनीय कार्य माना जाता था।
3.- गौरा पंत शिवानी
प्रमुख कवियत्री गौरा पंत शिवानी का जन्म उत्तराखंड के राजकोट(अल्मोड़ा ) में वर्ष 1923 में हुआ। वह हिंदी की प्रसिद्ध कवियत्रियों में से एक है। उनकी प्रमुख कृतियाँ में विषकन्या, चौदह फेरे, मायापुरी व कृष्णाकली, गहरी नींद, अतिथि, आदि है। इन्हें पदम् श्री पुरष्कार से सन 1981 में नवाजा गया था साथ ही उन्हें भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सम्मान से भी 1979 में सम्मानित किया गया है।
4.- बछेंद्री पाल
माऊंट एवरेस्ट की फ़तेह करने पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई, 1954 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिलें में हुवा। इन्होने सन 23 मई, 1984 को माऊंट एवरेस्ट का फ़तेह किया। इनके इस महान साहसिक कार्य के लिए इन्हें सरकार द्वारा विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा गया।
5.- मीना राणा
उत्तराखंड की प्रमुख गायिकाओं में से एक मीना राणा का जन्म सन 24 मई 1975 को हुआ। बिना किसी खास प्रशिक्षण के ही वह आगे बढ़ने वालों में से एक है। जिसका मुख्या कारण है बचपन से ही संगीत से जुड़ाव, जो उन्हें आगे चलकर एक अच्छी गायिका बनाता है। इनके गीतों में उत्तराखंड संस्कृति के साथ प्राकृतिक प्रेम भाव भी उभरकर आता है। यही कारण है की उनके गाने हमेशा ही सुपरहिट होते रहे। समय के चलते वह उत्तराखंड के नव संगीतकारों के साथ भी कार्य करते आ रहे है। सन 1991 में नोनी पिचाड़ी नोनी फिल्म के जरिए उनकी मधुर आवाज उत्तराखंड के पूरे साथ देश भर में फैल गई। और आज उनके द्वारा गाया हुआ हर गाना लोकप्रियता हासिल करता है।
6.- गौरा देवी
उत्तराखंड के प्रमुख आंदोलन चिपको आंदोलन की महान नायिका गोरा देवी रैंणी गाँव की रहने वाली थी. प्रकृति प्रेमी के करण वे जंगलों को अपना मायका मानती थी। वनों की अत्यधिक कटाई होने के करण उन्हें दुःख हुवा और उन्होंने लोगों के साथ मिलकर वनों की कटाई के विरुद्ध आंदोलन छेड़ा जिसे चिपको आंदोलन का नाम दिया गया। आंदोलन में पेड़ों को बाँहों में भर कर उनको रक्षा सूत्र में बंधा गया। उनके इस अनमोल एवं साहसिक कार्य को चिपको आंदोलन के माध्यम से याद किया जाता है।